एक नाज़ुक सा रिश्ता है
दोस्ती भी नहीं कह सकती
आशिक़ी भी नहीं
बरसों हुए मिले
अरसे हुए बात किये
फिर भी दिल का एक कोना
उसके नाम से महक जाता है
किसी रोज़ कहीं टकरा गए
यूं ही गाहे बगाहे
क्या नज़र मिलेगी
या पुराने शिकवे,
अब तक सुलगते ज़ख्म,
आज़माएंगे ज़ब्त, कहेंगे
चलो, घर चलो
किसी को तुम्हारा इंतज़ार है.
या फिर
उन्हें अनसुना कर
आँखों में नमी लिए
पूछूंगी उस से
क्या पाया तुमने
मुझे खो कर
(pvks )
दोस्ती भी नहीं कह सकती
आशिक़ी भी नहीं
बरसों हुए मिले
अरसे हुए बात किये
फिर भी दिल का एक कोना
उसके नाम से महक जाता है
किसी रोज़ कहीं टकरा गए
यूं ही गाहे बगाहे
क्या नज़र मिलेगी
या पुराने शिकवे,
अब तक सुलगते ज़ख्म,
आज़माएंगे ज़ब्त, कहेंगे
चलो, घर चलो
किसी को तुम्हारा इंतज़ार है.
या फिर
उन्हें अनसुना कर
आँखों में नमी लिए
पूछूंगी उस से
क्या पाया तुमने
मुझे खो कर
(pvks )