हमसफ़र बने
देखे कई मरहले
तिलिस्म ए मोहब्बत बढ़ता ही गया
अगरचे तुम हमदर्द न हुए
दर्द ए तगाफ्फुल है
पर गिला कोई नहीं
ज़ख्म फूलों से महकते हैं
बेखुदी रास आ गयी कुछ ऐसे
देखे कई मरहले
तिलिस्म ए मोहब्बत बढ़ता ही गया
अगरचे तुम हमदर्द न हुए
दर्द ए तगाफ्फुल है
पर गिला कोई नहीं
ज़ख्म फूलों से महकते हैं
बेखुदी रास आ गयी कुछ ऐसे
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