दिल शाद नहीं
ग़मगीन नहीं
मौसम भी कुछ ऐसा है
सर्द नहीं
तपता भी नहीं
कोई मुंतज़िर जैसे बैठा है
साल नया
एहद नए
देखें आगे क्या होता है !
ग़मगीन नहीं
मौसम भी कुछ ऐसा है
सर्द नहीं
तपता भी नहीं
कोई मुंतज़िर जैसे बैठा है
साल नया
एहद नए
देखें आगे क्या होता है !
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