बच्चे बड़े हो रहे हैं, माँ
डाँटती हूँ तो झल्ला जाते हैं
समझाती हूँ तो खिसिया जाते हैं
गले से लगाना तो दूर रहा
हाथ पकड़ने से भी शरमा जाते हैं
अपनी करते हैं, अपनी सुनते हैं
बस मुश्किल में ही याद करतें हैं
कभी सोचती हूँ, माँ
माँ बनना मुश्किल है कितना
फिर याद आता है तुम्हारा चेहरा
और मुश्किलें आसान हो जाती हैं
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