आज लोहरी है
जो रात भर ठिठुर रहे थे कल
क्योंकि उनके सर पर छत नहीं
बदन ढकने भर कपडा नहीं
गरम खाना खाए बहुत दिन हुए
अब तो पेट में खाना ही नहीं
बता दें उनको कि आज लोहरी है
बस कुछ दिन और, ठण्ड तो अब जा ही रही है
आज लोहरी है
जो किसान भाई दबें है ऋण के नीचे
जिनकी फसलों के अच्छे दाम नहीं
बंजर हो रही ज़मीन का उपचार नहीं
जिनकी नदियाँ बनती जा रहीं है ज़हर
या फिर पानी बरसता ही नहीं
बता दें उनको कि आज लोहरी है
बस कुछ दिन और,retail में FDI आ ही रहा है
जो रात भर ठिठुर रहे थे कल
क्योंकि उनके सर पर छत नहीं
बदन ढकने भर कपडा नहीं
गरम खाना खाए बहुत दिन हुए
अब तो पेट में खाना ही नहीं
बता दें उनको कि आज लोहरी है
बस कुछ दिन और, ठण्ड तो अब जा ही रही है
आज लोहरी है
जो किसान भाई दबें है ऋण के नीचे
जिनकी फसलों के अच्छे दाम नहीं
बंजर हो रही ज़मीन का उपचार नहीं
जिनकी नदियाँ बनती जा रहीं है ज़हर
या फिर पानी बरसता ही नहीं
बता दें उनको कि आज लोहरी है
बस कुछ दिन और,retail में FDI आ ही रहा है
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